पत्रकारों की पुलिस ने अपने संरक्षण में चप्पलों से करी पिटाई

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एस एन श्याम

भिंड। मप्र के भिंड में पुलिस अधीक्षक ने कुछ पत्रकारों को अपने ऑफिस बुलाया फिर उन्हें चप्पलों से इतना पिटवाया कि उनका पेशाब निकल गया। यही नहीं जब पत्रकारों ने कलेक्टर को शिकायत की तो उनके घर भी पुलिस भिजवा दी। मप्र में हरसम्भव प्रयास है कि यादव समाज के अफसर पदस्थ किये जायें और मुख्यमंत्री के स्वजातीय होने के कारण ऐसे अफसर निरंकुश हैं।
भिंड। यह सब हुआ 1 मई को।
मध्य प्रदेश के भिंड जिले से लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली एक गंभीर और निंदनीय घटना सामने आई है। जहां पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर में पत्रकारों को सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने पुलिस के खिलाफ अवैध रेत खनन और वसूली की खबरें प्रकाशित की थीं।
पत्रकारों के साथ में मारपीट करने में भिंड पुलिस अधीक्षक असित यादव, एवं एडिशनल एसपी संजीव पाठक, एवं सी एस पी दीपक तोमर एवं फूप थाना प्रभारी सत्येंद्र राजपूत, एवं ऊमरी थाना प्रभारी शिव प्रताप सिंह, एवं भारौली थाना प्रभारी गिरीश शर्मा , सिटी कोतवाली थाना प्रभारी बृजेंद्र सेंगर, देहात कोतवाली मुकेश शाक्य, एवं बरौही थाना प्रभारी अतुल भदौरिया, ए एस आई सत्यवीर सिंह साइबर सेल। इन सभी अधिकारियों की मिलीभगत से पत्रकारों की चप्पलों से जमकर पिटाई की गई।
न्यूज़ 24 एमपी-सीजी के रिपोर्टर धर्मेंद्र ओझा के घर को पुलिस ने रात्रि में 12:00 बजे घेर लिया और रिपोर्टर का मोबाइल छुड़ाकर जो अधिकारियों के खिलाफ सबूत थे वह पूरी तरह से डिलीट कर दिए दिए। एक दलित पत्रकार शशिकांत जाटव को जाति पूछ कर निर्ममता से पीटा।

आज हालात यह है कि भिंड के पत्रकार शहर छोड़ कर भाग गए है।
गौर तलब है कि एसपी असित यादव बालाघाट में RSS प्रचारक सुरेश यादव के साथ पिटाई के मामले में चर्चित रहे है जिसपर उन्हें जिले से हटाया भी गया था।
भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ के पूर्व राष्ट्रीय सचिव एस एन श्याम, राष्ट्रीय प्रवक्ता संजीव कुमार जायसवाल, संघ के बिहार प्रदेश अध्यक्ष कुमार निशांत, बिहार press means union के बिहार अध्यक्ष अनमोल कुमार, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय सचिव सुधांशु कुमार इत्यादि ने इस घटना पर गंभीर आक्रोश व्यक्त करते हुए पत्रकारों की पिटाई के न्यायिक जांच की मांग की है।
इन पत्रकारों ने कहा कि इस घटना में शामिल तमाम पुलिस अधिकारियों को तत्काल में सस्पेंड कर उनके विरुद्ध प्राथमिक की दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए।

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