*इलाज के दौरान मरीज की मौत का सौदा मात्र 13 लाख में*
*असलहे की नोक पर जबरन मरीज को किया था रेफर*
डॉ हिमांशु द्विवेदी
हरिद्वार। शहर की पॉश कालोनी मे स्थित सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर मे मरीज की ऑपरेशन के बाद स्थिति खराब होने पर मरीज श्रीचंद्र शर्मा के परिजनों को बाहरी गुंडों से धमकवा कर किया रेफर बंगाली अस्पताल करने से फैक्ट्री के गुस्साए कर्मचारियों ने अस्पताल के सामने प्रदर्शन शुरू कर दिया। जहाँ उसकी मौत हो गई। प्रदर्शन कार्यों का कहना है कि बेहोशी की दवा ज्यादा देने से ही श्री चंद की मौत हुई है। प्राइवेट अस्पतालों में छोला छाप सिस्टम से मरीजों की जान जा रही है। पर स्वास्थ्य विभाग की कुंभकरणी नींद टूट ही नहीं रही है। अब तक डॉक्टरों की लापरवाही से शहर में प्राइवेट अस्पतालों में तीन मौतें पूर्व में हो चुकी है। यह चौथी मौत का मामला था। शनिवार की देर रात तक प्रदर्शन होता रहा वहीं पुलिस और प्रशासन का दबाव पूरे दिन डॉक्टर को बचाने में लग रहा। सूत्र बताते हैं कि कनखल के एक बड़े कांग्रेसी नेता और कनखल के ही एक बड़े हड्डी के डॉक्टर द्वारा सिटी मजिस्ट्रेट की मध्यस्थता के बीच मरीज के भाई से 13 लाख में समझौता कर डाला और उससे लिखवा लिया की वह डॉक्टर के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं करेगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पताल के दोनों गेट पर सील लगाई गई थी।पर एक गेट की सील रात्रि में ही खोल दी। और फैक्ट्री के कर्मचारी भी धरने से रात्रि में ही उठ गए। वहीं प्रथम दृष्ट्या डॉक्टर का दोष होते हुए भी पुलिस ने कोई मुकदमा नहीं लिखा। मृतक के परिजनों एवं फैक्ट्री के कर्मचारियों का साथ देने पहुंचे कांग्रेसी नेता वरुण बालियान ने कहा की निष्पक्ष जांच के लिए अस्पताल के कैमरे की सीसी फुटेज देखी जाएं लेकिन पुलिस ने जाँच में पाया कि अस्पताल की डीबीआर ही गायब है। श्री बालियान कहा अस्पताल की कमियों को उजागर करना अति आवश्यक है ताकि अन्य किसी मरीज की मौत ना हो। वहीं श्री चंद की मौत कुछ ऐसे सवाल छोड़ गई है जिसका कोई उत्तर किसी के पास नहीं ?
वो असलहे धारी कौन थे!और डीबीआर गायब होना!बेहोशी की दवा बिना विशेषज्ञ के देना! मरीज को प्रलोभन देकर अपने अस्पताल में बुलाना! डॉक्टर को बचाने में प्रशासन की भूमिका जैसे सवाल आज भी खड़े है!
चिकित्सक बना मौत का सौदागर, मरीज के परिजनों को धमकाने को बुलाए थे बाउंसर












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