उत्तराखंड की दुर्दशा के लिए हरिद्वार के संत जिम्मेदार: स्वामी शिवानंद

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ए. गुप्ता

हरिद्वार। मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि देशभर (मुख्यतः उत्तराखंड) के कुछ तथाकथित संत-महात्माओं ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को धर्म संरक्षक की उपाधि दी है। जिन तथाकथित संत-महात्माओं, कथावाचक, वक्ता इत्यादि के नाम समाचार पत्रों में प्रकाशित किए गए हैं, जो तस्वीरों से भी अपने आप में स्पष्ट है, उनमें से किसी को भी संत-महात्मा-साधु नहीं कहा जा सकता। इनमें से अधिकांश के बारे में यह भी नहीं कहा जा सकता कि इनमें संत का भी कोई गुण है, यह घोषणा हम खुलेआम करते हैं और साथ में यह भी कहते हैं कि इन्हीं लोगों के चलते आज उत्तराखंड की यह जो दुर्दशा हो रही है, इसके जिम्मेदार ये लोग हैं।
प्रेस को जारी बयान में स्वामी शिवानंद ने कहा कि वें सीएम पुष्कर सिंह धामी से स्पष्ट कहना चाहते हैं कि उत्तराखंड में अनेक मुख्यमंत्री हुए हैं, जिन्होंने अच्छे-बुरे सब काम किए हैं, *लेकिन आप ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनमें नैतिकता नाम की कोई चीज ही नहीं है* इन्हीं के कार्यकाल के दौरान पूरे देश को हिला देने वाला अंकिता हत्याकांड होता है और लगभग सभी को इसकी जानकारी है कि अंकिता की हत्या क्यों और किसके लिए की गई, धामी जी ने जानबूझकर इस व्यक्ति को संरक्षण दिया और उस पर कार्यवाही नहीं होने दी। यह भी कह देना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट को भी अब हम प्रणाम ही कर सकते हैं क्योंकि न्याय तो अब इससे बहुत दूर चला जा चुका है और केवल कुछ ही न्यायाधीश अब ऐसे रह गए हैं जो न्याय कर सकते हैं। जब इस हत्याकांड के आरोपियों की बात हो रही थी तब उस मुख्य व्यक्ति (जिसके लिए अंकिता की बलि दी गई) का नाम तक आरोपियों में नहीं रखा गया। एक वकील जो इस पूरे केस को लड़ रहे थे, जब ऊंची अदालत में भी इस प्रकार का क्रियाकलाप हुआ, तब उन्होंने भी हाथ जोड़ लिया और कहा कि जब न्याय व्यवस्था ही ऐसी है, तो यही सही, तो ऐसी बदहाल व्यवस्था है।

स्वामी शिवानंद ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड को जो धामी ने बना रखा है और यह तथाकथित संत महात्मा, इनमें से कोई भी खड़ा होकर अपना परिचय दे दे कि उनमें संत का कोई भी गुण है, जो यह अपने आप को संत कह रहे हैं। कोई इनमें से गृहस्थ है, कोई इनमें से भगवाधारी हैं, उनके कृत्य सब जानते हैं, तो यह सभी अपने आप को संत कैसे कह रहे हैं ? भारत में अच्छे संत भी हैं, ऐसी बात नहीं है कि भारत में अच्छे संतों की कमी है। लेकिन इसी देवभूमि उत्तराखंड में ऋषिकेश में मुनि की रेती पर धामी जी के संरक्षण में एक इतना बड़ा शराब का ठेका खोला गया है, जिसका स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं, लेकिन पुलिस खड़ी होकर वहां पर शराब बिकवा रही है और इन्हीं धामी जी को आप धर्म संरक्षक कहते हैं? चलिए मान लिया जाए, लोग गए भी होंगे इस रजत जयंती समारोह में, *लेकिन किसी को वहां खड़े होकर यह साहस भी नहीं हुआ कि अरे, किस बात का धर्म संरक्षक? धर्म के नाम पर ये कलंक हैं, यह हम घोषणा करते हैं।
स्वामी शिवानंद ने कहा कि हरिद्वार अर्ध-कुंभ का कोई विशेष ऐसा महत्व नहीं है, केवल पैसों का खेल होता है, ऐसे महात्मा लोग इसे कुंभ की उपाधि देकर पैसों का बंदर-बांट करेंगे।
प्रयागराज कुंभ में जिस प्रकार हुआ, कितने लोगों की जान गई, कितना अधर्म हुआ, किस प्रकार से वहां की व्यवस्था रही, यह सब बात हम लोग जानते हैं और खूब समझते हैं कि यहाँ ये सब क्यों किया जा रहा है। उत्तराखंड और हिमाचल अब वैसे राज्य हो गए हैं, जहां पर बरसात के समय कौन-सा गांव बह जाएगा, कौन-सी भूमि धंस जाएगी, यह कोई नहीं कह सकता। हम यह बात भली-भांति जानते हैं कि वहां सब के सब असुरक्षित रहते हैं। अभी धराली की घटना हुई, थराली की घटना हुई, अन्य जगहों पर कितनी घटना हुई, लेकिन किसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। खूब फंड आते हैं और रुपयों का बंदरबांट होता है। यह लोग तो आपदा में अवसर ढूंढने वाले लोग होते हैं। एक और उदाहरण के लिए देखिए, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गंगा और यमुना जी को लिविंग एंटिटी का दर्जा दिया। इसके विरुद्ध में सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। उसमें हम caveator थे इसलिए हमें भी वहां उपस्थित होना था। हमारे महात्मा को उनके वकील फोन करते हैं कि कल तारीख लगी है तो हमने कहा कि कल हम कैसे जाएंगे, हम तो इधर नैनीताल में है, तो उन्होंने कहा कि ठीक है आपका तो बड़ा मुद्दा है, हम इस बात का विरोध नहीं करेंगे कि लिविंग एंटिटी का दर्जा दिया जाए, हम तो केवल इस बात के लिए कि बहुत राज्यों से गंगा होकर बहती है और इसमें उत्तराखंड के एडवोकेट जनरल और चीफ सेक्रेटरी को इसके उत्तरदायित्व से संबंधित आदेश दिया गया है, तो हम इस बात के विरोध के लिए जा रहे हैं, लेकिन वे वहां जाकर स्टे ले आए और वह स्टे अभी तक पड़ा हुआ है। तो सुप्रीम कोर्ट में भी इस प्रकार के क्रियाकलाप ही हो रहे हैं। यह स्थिति है देवभूमि की, ऐसी स्थिति है हरिद्वार की जिसे खनन से बर्बाद कर दिया गया। इनके एडवोकेट जनरल गलत लीगल एडवाइस देते हैं, उनके चीफ स्टैंडिंग काउंसिल गलत लीगल एडवाइस देते हैं और यह सभी कोर्ट में जाकर पकड़ाते हैं और कोर्ट ने 48 स्टोन क्रेशर को बंद करने का आदेश दिया जिसके बाद 60 स्टोन क्रशर अभी बंद हुए हैं। लेकिन सरकार माफिया के साथ एकीभूत होकर कोर्ट में लड़ रही है, क्योंकि जो लॉजिक माफिया दे रहे थे, वही लॉजिक सरकार भी दे रही थी, वह भी सारे बड़े वकील, नामी वकील और यह हरिद्वार के ऐसे साधु हैं जो इनके बारे में यह सब जानते हुए भी इनको धर्म संरक्षक की उपाधि दे रहे हैं? *जिस गंगाजल में, नीरी के रिपोर्ट के अनुसार, 17 प्रकार की बीमारियों और पैथजन को नष्ट करने के गुण थे, उसको नष्ट कर इन लोगों ने कुंभ क्षेत्र में, जहां कुंभ होता था, वहां पर एक अस्पताल बना दिया। वह भी अभी से बदहाल है* पहले कहा सरकारी अस्पताल, अब कह रहे हैं कि पीपीपी मोड पर चलाएंगे और धामी जी को धर्म संरक्षक कहने वाले ये तथाकथित साधु, आप खुद को साधु बोलेंगे? जिस देवता की आराधना करते हैं, वे देवता ने कभी सपने में भी आपको दर्शन दिया होगा? क्योंकि जितने भी देव हैं भारतवर्ष के, वे सभी गंगाजल से अभिषिक्त होना चाहते हैं और मरने के बाद सब अपने राख को भी गंगा में ही प्रवाहित करवाना चाहते हैं। इस पापी को धर्म संरक्षक कहने वाले हरिद्वार के ये तथाकथित संत-महात्मा, हरिद्वार और गंगा तो बर्बाद हो गई और अब उत्तराखंड को देवभूमि कहता कौन है ? हरिद्वार क्षेत्र के अंदर, कारपोरेशन के क्षेत्र में, यहां पर शराब की दुकानें हैं, जबकि ब्रिटिश काल में, मुगल काल में भी, सात मिल तक, हरिद्वार के क्षेत्र के बाहर तक, शराब और मांस-मदिरा प्रतिबंधित था और आप लोग इनको धर्म संरक्षक कहेंगे? यह वास्तविकता में धर्म का सत्यानाश करने वाले हैं। और आपकी बात को मानता कौन है? आप कहते हैं धर्म संरक्षक और हम कहते हैं धर्म का विध्वंसक।
इन्होनें तो चीफ मिनिस्टर पोर्टल को भी लीपापोती के लिए रखा है कि जिस अधिकारी के विरुद्ध शिकायत जाएगी, उन्हीं से रिपोर्ट लेकर वहां पर क्लोजर रिपोर्ट लगा देंगे | आज तक पुष्कर सिंह धामी को साहस क्यों नहीं हुआ है कि वे आश्रम आयें और यही धामी एक बार हमें संवाद भिजवाए थे कि हरीश रावत के आदमी खनन करते हैं और हमारे लोगों को रोका जाता है, तो हमने कहा कि हम हरीश रावत के भी आदमी को रोकेंगे और आपके आदमी को भी रोकेंगे, हमारे लिए सब बराबर हैं। अरे तथाकथित साधुओं? ये धर्म संरक्षक हैं? भेष बदलने से, बड़ा आडंबर करने से आप भी साधु नहीं बन जाएंगे। *इसलिए जो तथाकथित संत इसमें गए हैं, उनके लिए हम घोषणा कर देना चाहते हैं कि आपने अपनी तथाकथित संतवाणी से यह घोषणा की है कि ये पापी धर्म संरक्षक हैं, हम इसे नहीं मानते और हम चुनौती देते हैं कि किसी में साहस हो, तो वे हमारी बातों का खंडन करें | या तो वे हमारे प्लेटफार्म पर आयें, नहीं तो हम उनके प्लेटफार्म पर जाएंगे और अपनी बात को हम साबित करेंगे कि क्यों ये धर्म विध्वंसक हैं।*

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