संवाददाता रमेश राम लोहाघाट/ चम्पावत।
चंपावत।
राज्य गठन के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ने सत्ता सुख देखा, लेकिन दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने अपना उल्लू सीधा करने के अलावा कुछ नहीं किया। सत्ता का सुख पाने के लिए नेताओं ने यहां की जनता से वादे तो खूब किये। लेकिन उन वादों पर खरा उतरने की कभी कोशिश नहीं की। सत्ता मिलने के बाद नेता केवल अपनी कुर्सी बचाने की जुगत में लग जाते हैं। प्रदेश की जनता की मूलभूत समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया गया।
कुर्सी का मोह हर किसी को होता हैं कुर्सी चाहे सत्ता की हो या फिर किसी बड़े पद की। यदि बात सीएम की कुर्सी की हो तो इसके लिए पार्टी के नेता कुछ भी करने को तैयार रहते है। कुर्सी पाने के लिए जनता से कई वादे कर देते हैं। वह पूरे हो या नहीं, वो अलग बात है। लेकिन जब कुर्सी मिल जाती हैं तो वह सब कुछ भूल जाते हैं। नया राज्य बनने से प्रदेश की गरीब जनता को तो कोई खास लाभ नहीं हुआ लेकिन यहां के नेताओं को अपनी नेतागिरी चमकाने का मौका अवश्य मिला। वर्ना यूपी के समय में उन्हें कौन पूछ रहा था? प्रदेश की जनता और यहां के बेरोजगार युवक आज भी बेरोज़गारी से जूझ रहे हैं। गाँव से पलायन लगातार जारी हैं गाँव सुनसान हो रखे हैं। कुल मिलाकर अलग राज्य बनने का सुख तो केवल यहां के नेता ही भोग रहे हैं।










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