अवधेश कुमार
कोलकाता। पूजा पंडालों को रंगमंच के रूप में इस्तेमाल करना कोलकाता के दुर्गा पूजा उत्सव में आम है, जहाँ आयोजक पंडाल के अंदर या बगल में एक मंचीय जगह बनाते हैं ताकि उसमें नाटक और प्रदर्शन किए जा सकें। ये पंडाल केवल धार्मिक अनुष्ठानों
तक सीमित नहीं रहते, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करने के लिए तैयार किए जाते हैं, जहाँ पारंपरिक कला और समकालीन विषयों का प्रदर्शन होता है। खिदिरपुर आंचल के वार्ड 76 में 88 वर्ष में शामिल युवों संघ इस बार अपने पंडाल को रंगमंच के रूप दीया है जीस में पुराने टाली,बीचाली, गांव में तैयार किया हुआ मछली पकड़ने वाला जाल के अलावा तेरा कोट गुड़िया का इस्तेमाल किया गया है।
थीम को तैयार करने वाले धीमान सुतर ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में भ्रमण कर ने बाद रंग मंच पर आधारित पूजा पंडाल का निर्माण करने का फैसला किया गया। प्रतिमा मे साधारण रंग का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि पंडालों के बाहर एक मंच भी तैयार किया गया है जो पारंपरिक नाटकों, जात्रा (लोक रंगमंच), और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों को दर्शाया जायेगा ,जो दर्शक एक अनूठा अनुभव का लुत्फ उठायेंगे।
क्लब के सचिव अभिजीत बर्धन ने कहा कि हर साल पंडाल विभिन्न विषयों पर आधारित होते हैं, जिनमें से कुछ पुराने रंगमंच की याद दिलाते हैं, तो कुछ लोकप्रिय साहित्य या स्थानीय कला को समर्पित होते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा की सभी व्यवस्था की गई है । उन्होंने कहा कि मेडिकल कैंप और अलग से एक रुम भी जहां अस्वस्थ व्यक्ति आराम कर सकतें है।
कला और शिल्प का प्रदर्शन
कई पंडालों को कला दीर्घा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, जहाँ दर्शक विस्तृत शिल्प कौशल और कलाकृतियों को देख सकते हैं, जो अक्सर किसी खास विषय से प्रेरित हैं। पूजा को सफल बनाने में क्लब अध्यक्ष दीपेंदु हाजरा, सदस्य चेतन साल, नबीन चंद्र दास, अरिंदम अदक, सुमन दास, सौरव दास, संजीब पांडे अपना श्रमदान कर रहे हैं।












Leave a Reply