*हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का भव्य शुभारंभ*
अमित कुमार
हरिद्वार। श्रीकृष्ण कृपा धाम, भीमगोडा में शुक्रवार को तीन दिवसीय हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन दिवस पर साहित्य, शोध और रचनात्मक अभिव्यक्ति के विविध रंग देखने को मिले। मुख्य उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि काव्य प्रकृति का मूल गुण है साहित्य मनुष्य जीवन को बदलने की क्षमता रखता है। डॉ. सिंह ने कहा कि साहित्य के कारण ही भारत विश्वगुरु बना है। डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा हरिद्वार पवित्र नदी गंगा का केंद्र है यह धरती साहित्य सृजन के लिए दिव्य भूमि है। विशिष्ट अतिथि शहर विधायक मदन कौशिक ने कहा कि उत्तराखंड राज्य साहित्य का राज्य है हरिद्वार शहर साहित्य और संस्कृति का बड़ा केंद्र रहा है।
मदन कौशिक ने कहा कि साहित्य समारोह में शहर की संस्कृति पर भी चर्चा की जानी चाहिए। फेस्टिवल में उत्तराखंड संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. दिनेश शास्त्री ने कहा कि साहित्य मनुष्य को मनुष्यता का प्रशिक्षण देता है। प्रो. शास्त्री ने कहा साहित्य का उद्देश्य मनुष्य के कल्याण के लिए कार्य करना है। फेस्टिवल निदेशक प्रो. श्रवण के.शर्मा ने स्वागत उद्बोधन में आयोजन के उद्देश्यों की जानकारी देते हुए कहा कि फेस्टिवल आयोजन साहित्य की संस्कृति को जीवन से जोड़ने के लिए किया गया है। उद्घाटन सत्र के अवसर पर प्रो. सीमा मलिक द्वारा निर्मित राजस्थान की वागड़ लोकसंस्कृति पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ‘फोकलोर ऑफ़ वागड़’ का प्रदर्शन भी किया गया, जिसे दर्शकों ने सराहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. किरण बाली और डॉ. आशिमा श्रवण ने किया। इस अवसर पर अन्त: प्रवाह सोसायटी के सचिव संजय हांडा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डीपीएस रानीपुर के छात्र-छात्राओं ने जोरदार एवं मनमोहक कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियां प्रस्तुत की। उद्घाटन सत्र में डॉ. करुणा शर्मा, डॉ. पिंकी अरोड़ा, प्रो. कल्पना पन्त, प्रो. यशवीर सिंह, डॉ. मंजूषा कौशिक, डॉ. दीपा, डॉ. निधि हांडा, डॉ. शिवा अग्रवाल, डॉ. सुशील उपाध्याय, डॉ. नरेश मोहन आदि उपस्थित रहे।
उद्घाटन सत्र से पहले “रीइमेजनिंग इंडियन लिटरेचर” विषय पर अकादमिक सेमिनार आयोजित हुआ। इसमें हिंदी, अंग्रेज़ी और संस्कृत के शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। संगोष्ठी में प्रो. एस.डी.शर्मा पूर्व कुलपति हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। शोध पत्रों में भारतीय साहित्य की परंपरा, समकालीन विमर्श और बहुभाषी संवाद पर चर्चा हुई। प्रश्नोत्तर सत्र में विद्वानों और छात्रों के बीच सार्थक संवाद देखने को मिला।
हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल में ओपन माइक सत्र युवाओं की रचनात्मक ऊर्जा का सशक्त मंच बना। प्रतिभागी युवा कवियों ने कविता पाठ किया। समकालीन समाज, संवेदना और पहचान से जुड़े विषयों ने श्रोताओं को प्रभावित किया।












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