पत्रकार सुरक्षा कानून, पेंशन योजना एवं स्वास्थ्य बीमा लागू करने के लिए जेजेए ने राजभवन के समक्ष दिया धरना

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⚫ पत्रकार पेंशन योजना लागू नहीं होने पर दायर होगी जनहित याचिका.
⚫पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग को लेकर बीएसपीएस दिल्ली के जंतर मंतर पर देगा धरना.
⚫मुख्यमंत्री को पत्रकारों के मुद्दों पर गुमराह कर रहे हैं अधिकारी

 

रांची (ब्यूरो) । पत्रकारों पर लगातार बढ़ते हमले एवं पत्रकार पेंशन व स्वास्थ्य बीमा को को लेकर भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ(BSPS Union) की झारखण्ड राज्य इकाई झारखण्ड जर्नालिस्ट एसोसिएशन(JJA) ने राजभवन के समक्ष एक दिवसीय धरना दिया.पत्रकारों के इस महाधरना में झारखण्ड के सभी 24 जिलों के पत्रकारों ने एक स्वर में पत्रकार सुरक्षा कानून, पत्रकार पेंशन योजना एवं पत्रकार बीमा योजना लागू करने की मांग का समर्थन किया।
धरना को संबोधित करते हुए झारखण्ड के वरिष्ठ पत्रकार मनोज प्रसाद ने कहा पिछले एक दशक से अधिक समय से मैं
झारखण्ड जर्नालिस्ट एसोसिएशन(JJA) के संघर्ष को बहुत करीब से देख रहा हूं. उन्होंने कहा पत्रकारहित के मुद्दों पर जेजेए संस्थापक शाहनवाज़ हसन 24X7 कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार पेंशन योजना के लिए झारखण्ड के अधिकारी मुख्यमंत्री को दिग्भ्रमित कर रहे है, झारखण्ड के पत्रकार पिछले 6 वर्षों से पेंशन की आस लगाए बैठे हैं, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने लागू करने की बात भी की है पर इसे अब तक लागू नहीं किया है। वही पत्रकार स्वास्थ्य बीमा को लेकर उन्होंने कहा कि पत्रकारों को किसी बीमा की ज़रूरत नहीं है, उन्होंने कहा पत्रकार और उनके परिजनों के लिए झारखण्ड सरकार गोल्डन कार्ड जारी करे, जिसके माध्यम से सभी सदर अस्पताल एवं रिम्स में निशुल्क इलाज की व्यवस्था हो। राष्ट्रीय महासचिव शाहनवाज़ हसन ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को पत्रकारों को लेकर अधिकारी गुमराह करने का कार्य कर रहे है। मुख्यमंत्री ने उनसे मुलाक़ात के दौरान पत्रकारों के सभी मुद्दों के समाधान की बात कही थी उसके बावजूद अबतक पत्रकारों के मुद्दों पर झारखण्ड सरकार ने कोई पहल नहीं किया है. श्री हसन ने पत्रकारों की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर कहा कि थाना, ब्लॉक और अंचल स्तर पर पत्रकारों के साथ अधिकारियों रवैया तानाशाही वाला होता है, आंचलिक पत्रकारों पर खबर संकलन को लेकर झूठे मुकदमे दर्ज किए जाते है, निचले स्तर के अधिकारी मुख्य सचिव एवं डीजीपी के निर्देश का भी अनुपालन नहीं करते। राष्ट्रीय सचिव चंदन मिश्रा ने पत्रकार पेंशन योजना को लेकर विभिन्न राज्यों द्वारा दी जा रही राशि की जानकारी देते हुए कहा कि झारखण्ड की रघुवर सरकार ने पेंशन योजना कैबिनेट से पारित कर दिया था जिस पर राज्यपाल ने अधिसूचना भी जारी कर दी थी उसके बावजूद पत्रकारों को पिछले 6 वर्षों से पेंशन से वंचित रखा है.अब न्यायलय के शरण में जाना पत्रकारों की मजबूरी बन गया है, जेजेए झारखण्ड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेगा.
प्रदेश अध्यक्ष संपूर्णनंद भारती ने कहा कि आज झारखण्ड के सदूर जिलों पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा, जामताड़ा, गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, सरायकेला एवं पश्चिम सिंहभूम से भी बड़ी संख्या में पत्रकार धरना में शामिल हुए यही जेजेए की शक्ति है। पत्रकार हितों की रक्षा के लिए एक मात्र संगठन है जो गंभीरता से कार्य कर रहा है। पत्रकार सुरक्षा कानून, पत्रकार पेंशन योजना एवं पत्रकारों के लिए गोल्डन कार्ड की मांग को संगठन ने आज झारखण्ड के राज्यपाल महोदय के समक्ष मज़बूती से रखा है, जल्द ही मुख्यमंत्री के समक्ष भी इन मांगों को पुनः रखा जाएगा।                 पत्रकार सुरक्षा कानून बनाए जाने का समर्थन भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ (बीएसपीएस) ने भी किया है। हाल ही में पश्चिम बंगाल के दीघा में बीएसपीएस की संपन्न हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केंद्र सरकार से मांग की गई है कि पत्रकारों की सुरक्षा से जुड़ा कानून जल्द लागू किया जाए। दरअसल यदि पत्रकार सुरक्षा कानून लागू होने से उन पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी, जो जीवन को खतरे में डालकर पत्रकारिता कर रहे हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों, माफिया, नेताओं और अपराधिक तत्वों को उजागर करने वाले पत्रकारों के लिए सुरक्षा आवश्यक है। बीएसपीएस के अध्यक्ष अशोक पाण्डेय ने देशभर के पत्रकारों से कहा कि वे अपने-अपने राज्यों में सरकारों पर पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने के लिए मांग करें। पत्रकारों पर लगातार बढ़ते हमलों को देखते हुए पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर अलग से कानून बनाए जाने की मांग अब और तेज हो गई है। आज झारखण्ड की राजधानी रांची में फील्ड पर कार्य करने वाले सैकड़ों पत्रकार, अपनी मांगो को लेकर एक दिवसीय धरने पर बैठे।पत्रकारों पर हो रहे लगातार हमले और धमकियों के विरोध में जिले के कई पत्रकार अपनी आवाज शासन प्रशासन तक पहुंचाने के लिए धरना देने के लिए पर मजबूर है।

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