आरएसएस शताब्दी वर्ष पर प्रमुख जन गोष्ठी हुई संपन्न

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पंकज कुमार जोशी

नोहर। आरएसएस के सौ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष पर पथ संचलन एवं व्यापक गृह संपर्क अभियान के बाद जिले भर में प्रमुख जन गोष्ठी का आयोजन भी उत्साह के साथ हो रहा है। इसी क्रम में यहां रामलीला बाड़ी के समीप आचार्य तुलसी भवन नोहर में एक प्रमुख जन गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें राजस्थान क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख डॉ .श्रीकांत मुख्य वक्ता तथा कार्यक्रम अध्यक्ष भारत माता आश्रम के महंत रामनाथ अवधूत व शिव भगवान पारीक बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। इस दौरान समसामयिक एवं सामाजिक विषयो पर संवाद हुआ। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा मां भारती के चित्र समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर सामूहिक वंदेमातरम से कार्यक्रम शुरु किया गया। महंत रामनाथ अवधूत ने संघ के सौ वर्ष की उपलब्धि एवं सेवा कार्यों के बारे में बताया ।इसके बाद काव्य गीत प्रस्तुत किया। बौद्धिक प्रमुख डॉ.श्रीकांत ने अपने संबोधन में संघ रीति नीति पर प्रकाश डालते हुए व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, पंच परिवर्तन सिद्धांतो की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने बताया कि संघ सौ वर्षों की एक साधना है। सतत राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ हम सब चल रहे है। हिंदुत्व के विषय में उन्होंने कहा कि यह एक जीवनशैली जो समग्र हिंदू में व्याप्त है। सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव लेकर चलने वाला एक मात्र प्राणी सृष्टि पर हिंदू ही है। वसुधैव कुटुम्बकम पर बोलते हुए कहा कि संपूर्ण पृथ्वी ही हमारा परिवार है। दुनिया पर संकट आने पर भारत हमेशा सहयोग के लिए तैयार रहा है। हमने सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना ही नही की इसे निभाया भी है। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक को नाम की इच्छा नही होती है। यह ऐसा है जैसे एक हाथ से किया गया दान दूसरे हाथ को पता नही चलता है। भारतीय संस्कृति के बारे कहा कि वेद व शास्त्र सनातन संस्कृति के प्राण है। प्राचीन भारतीय संस्कृति के अनुसार अपनी पत्नी को छोड़ कर सभी स्त्रियां हमारी मां है। नारी सम्मान गौरव व चरित्र की बात है। गीता रामायण व महाभारत में हमको हिंदुत्व के दर्शन होते है। कुटुंब प्रबोधन पर कहा कि सप्ताह में एक बार परिवार के साथ सामूहिक रुप से बैठ कर हनुमान चालीसा पाठ का वाचन करे और पारिवारिक सदस्यों ने जो कुछ भी अच्छा पढा, देखा व सुना इसकी आपसी चर्चा करे। स्वभाषा व भूषा के साथ सांस्कृतिक भ्रमण पर भी अवश्य जाएं। भेदभाव रहित समाज रचना के लिए सबको आगे आना होगा। समरसता हमारी पहचान है। जातिगत भिन्नता व छुआछूत से सदैव दूर रहे। हमें तुलनात्मक नही समानता पर कार्य करना है। इसके अलावा पर्यावरण व जल संरक्षण, नैतिक शिष्टाचार अपनाने पर भी बल दिया गया। उन्होंने कहा कि पंच परिवर्तन पहले अपने जीवन में अपनाए फिर इसे समाज में लेकर जाए। सेवा संपर्क व प्रचार में मातृशक्ति भी अग्रणीय रहे। वर्तमान में जनसंख्या पर नियंत्रण नही संतुलन आवश्यक है। समाज में आवारा घूमने वाले बालक भी हमारे समाज का हिस्सा है। इन्हें समाज व राष्ट्रहित के कार्य करने के लिए प्रेरित करें। न्यू सेंस व्यक्ति भी समझदार व्यक्ति से अधिक राष्ट्रभक्त होता है। बस उसे सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद पर उन्होंने कहा कि इसे गहराई से समझना होगा। हर एक भारतीय को आयुर्वेद अपनाना चाहिए। यह एक लंबी साधना है। नई शिक्षा नीति पर आधारित पुस्तके आने के बाद विद्यार्थियों के ज्ञान में वृद्धि होगी। संघ को समझने के लिए पहले डॉ हेडगेवार को समझना होगा। उनका जीवन त्याग व समर्पण से भरा था। वे सदैव राष्ट्र के लिए तत्पर रहे। किसी भी प्रकार के संकट में संघ को याद किया जाता है लेकिन ऐसा ना होकर आप स्वयं आगे बढ़ो फिर संघ के स्वयंसेवक आपके पीछे तैयार मिलेंगे। पहले शताब्दी वर्ष में व्यवस्था परिवर्तन के बाद दूसरे शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन पर कार्य जारी रहेगा। इस मौके पर जिला प्रचारक राधेश्याम, खंड कार्यवाह कमल शर्मा, नगर कार्यवाह रमेश पारीक ,विस्तारक टीकूराम सहित संपूर्ण संघ टोली, नगर के प्रबुद्ध नागरिक, अनेक सामाजिक संगठनों के सदस्य, शिक्षाविद व मातृशक्ति की उपस्थिति रही।

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