दयाराम ढिल
बरवाली। निठाणो गाम आपरी चोखी पीछाण राखै , इण गाम मा शिल्पा महंत रेवै, शिल्पा महंत आपरी मीठी आवाज अर नाच सूं मायड़ भासा रै काम माय चोखो काम कर दूजा नै भी मायड़ भासा अर आपणी संस्कृति सारू समाज नै सीख देवै, लारलै बीस बरसां सूं लोक कला री अनेक संस्थाना मा आपरी ज़बरी सेवा देवा समूलै गाम कानी सूं एक मायरो भरियो गयो जिण मा शिल्पा नै चोखो मान दियो, शिल्पा अनेक मंचा माथे धमाल, लोक गीत गा अर खूब तालियां बटोरै , आजकाल केसरिया बालम पधारो म्हारे देस… मायड़ भासा मा गाय ‘ र खूब चर्चा माय है,रामू प्यारा…, झाला सेन…, सागर पाणी भरवा जाऊं …., ढल गई माझल रात..
, हल्दी रंग लियावै…., काली काली बरखा…. आद सूं फिज़ा मा राजस्थानी संस्कृति री सुगंध फलावे, समाज सेवा भी करे। शिल्पा महंत केवे कै आपा नै राजस्थानी भासा री मानता खातर काम करणों है। हर्षवर्ध सैनी जेपर सागे भी एक गीत खूब वायरल होया।
खास पिछाण, लोक गीतां सूं मायड़ भाषा रो प्रचार प्रसार करती शिल्पा महंत












Leave a Reply