भारत मंडपम में दो दिवसीय “इंटरनेशनल जनमंगल सम्मेलन”
• योगऋषि स्वामी रामदेव महाराज और जैन संत अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज के मार्गदर्शन में “हर मास – एक उपवास” का संकल्प
• उपवास का उद्देश्य तन, मन व आत्मा को शुद्ध करना है : जैन मुनि प्रसन्न सागर
• हर मत, पंथ, परम्परा, धर्म, अनुष्ठान और शुभ प्रसंग में उपवास का समान रूप से प्रावधान और महत्व : स्वामी रामदेव
• उपवास करने से प्रतिरोधक क्षमता अवश्य बढ़ जाती है, यह इम्यूनिटी बूस्टर है : जैन मुनि पीयूष सागर
• उपवास करने वाला ही बड़ा साधक हो सकता है : आचार्य बालकृष्ण
• लोक सभा स्पीकर ओम बिरला, आचार्य बालकृष्ण, स्वामी रामदेव के साथ विशिष्टजनों ने लिया उपवास का संकल्प
अमित कुमार
नई दिल्ली। भारत मंडपम में दो दिवसीय “इंटरनेशनल जनमंगल सम्मेलन” आयोजित किया गया जिसमें योग और उपवास के दो प्रसिद्ध संतों – योग ऋषि स्वामी रामदेव महाराज और जैन संत अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज के दिव्य मार्गदर्शन में, एक जन आंदोलन “हर मास – एक उपवास” (हर महीने 7 तारीख को एक बार उपवास) शुरू किया गया। यह द्वि-दिवसीय सम्मेलन 4 सत्रों में “जनमंगल की सम्यग्दृष्टि -उपवास, ध्यान, योग व स्वदेशी चिंतन” पर केन्द्रित है। दोनों युग-पुरूषों ने जनमंगल के लिए “हर मास एक उपवास” महाभियान से मानवता को समस्त सिद्धिदायक महामंत्र देने का संकल्प किया है। इस आंदोलन से देश के प्रमुख संतगण, राजनेता तथा विख्यात हस्तियाें के साथ-साथ दुनिया भर में लाखों लोग जुड़ चुके हैं। 
सम्मेलन का अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए माननीय लोकसभा स्पीकर श्री ओम बिरला ने कहा भारत मण्डपम की यह भूमि आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विज्ञान का अद्भुत साक्षी बन रहा है। पूज्य अंतर्मना ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में धर्म, अध्यात्म, संस्कृति, विज्ञान, वैयक्तिक विकास व आत्म विकास के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। इनका तप-तपस्या अद्भुत है। यह आयोजन अध्यात्म और कर्मयोग का दिव्य संगम है जो निश्चित ही देश व दुनिया को नया संदेश देगा। देश की राजधानी दिल्ली से देश को संदेश जाएगा और देश से दुनिया तक यह बात पहुँचेगी। जहाँ एक ओर आचार्य प्रसन्न सागर महाराज आध्यात्मिक ज्ञान का दर्शन देकर आत्म विकास का मार्ग बता रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर स्वामी रामदेव जी महाराज कर्मयोग, भारतीय शिक्षा, स्वदेशी जीवन और योेग विज्ञान के माध्यम से देश व दुनिया को स्वास्थ्य प्रदान कर रहे हैं। श्री बिरला ने कहा कि उपवास से शरीर व मन स्वस्थ रहते हैं, इससे इन्द्रियों को वश में किया जा सकता है। “इंटरनेशनल जनमंगल सम्मेलन” समसामायिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने एक माह-एक उपवास का संकल्प लेते हुए कहा कि मैं भी माह में एक बार उपवास करूंगा।
कार्यक्रम में अंतर्मना प्रसन्न सागर जी महाराज ने कहा कि उपवास आत्मिक ऊर्जा को जगाने वाला दिव्य साधन है। उपवास का उद्देश्य तन, मन व आत्मा को शुद्ध करना है। उपवास तन की स्वच्छता, मन के परिशोधन, जीवन के पुनर्गठन व जीवन के उत्थान का सर्वोत्तम साधन है। उपवास के दाैरान भावनाएँ नियंत्रित हाेती हैं, क्रोध घटता है, मन शांत होता है और ध्यान गहरा होता है। व्यक्ति नकारात्मक विचारों से मुक्त होकर सकारात्मकता और मानसिक स्थिरता का अनुभव करता है। अंतर्मना ने कहा कि उपवास आत्मा का भोजन है जो साधक को आसक्ति से मुक्त करता है। उपवास शरीर को ऐसी प्राकृतिक अवस्था में ले जाता है जहां शरीर स्वयं का उपचार करता है। उपवास से प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है। यह वह अवस्था है जहां शरीर बिना दवाओं के स्वयं को ठीक करता है। उन्होंने कहा कि उपवास का प्रभाव केवल शरीर तक सीमित नहीं रहता, यह मन पर भी गहरा प्रभाव डालता है।
सम्मेलन में स्वामी रामदेव ने कहा कि हर मत, पंथ, परम्परा, धर्म, अनुष्ठान और शुभ प्रसंग में उपवास का समान रूप से प्रावधान और महत्व है। उपवास से शरीर, मन और अंत:करण की शुद्धि होती है जिससे मनुष्य जीते जी जीवन से मुक्त हो जाता है। उपवास से मनुष्य सहज योग व सहज समाधि को उपलब्ध हो जाता है। शरीर के तप, वांग्मय तप और मन के तप की सिद्धि उपवास उपासना से होती है। इसलिए सप्ताह मे न सही तो कम से कम माह में एक बार तो उपवास का संकल्प सब आज यहाँ से लेकर जाएँ। उन्होंने बताया कि आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज ने 557 दिवस तक निरंतर तथा अपने जीवनकाल में अभी तक 18 वर्ष उपवास करके (और अब तक 3500 से ज़्यादा उपवास सिद्ध कर के) “उपवास शिरोमणी” की प्रतिष्ठा प्राप्त की है। अंतर्मना आत्मसंयम का अनुपम उदाहरण तथा साधना शिखर के मूर्त्तरूप हैं। अंतर्मना प्रसन्नता के सागर हैं और अपने नाम को चरितार्थ करते हुए तप के चमोत्कर्ष पर आरूढ़ हैं।
जैन मुनि पीयूष सागर महाराज ने उपवास स्वस्थ जीवन का आधार है। उपवास करने से प्रतिरोधक क्षमता अवश्य बढ़ जाती है, यह इम्यूनिटी बूस्टर है। युगों-युगों तक योग क्रांति के लिए लोग स्वामी रामदेव को जानेंगे। उपवास जीवन में तीन बातें लेकर आता है- पात्रता, पवित्रता व पावनता। स्वामी रामदेव महाराज सुबह उठाकर लोगों में पात्रता ला रहे हैं और निरंतर योग से उनमें पवित्रता व पावनता भी ला रहे हैं। उपवास का भी यही उद्देश्य है।
आचार्य बालकृष्ण महाराज ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारा सौभाग्य है कि आज दिव्य संतगणों के मध्य उपस्थित रहने का अवसर मिला आचार्य ने आयुर्वेद में उपवास के महत्व सहित कई देशों में उपवास की महत्ता को बताया। उन्होंने रेस्टोरेंट कल्चर को रोगों की उत्पत्ति का सबसे बड़ा कारण बताते हुए कहा कि स्वयं कम भोजन करें अपितु भूखों को भोजन कराइएँ, यह भी उपवास ही है। ज्यादा खाने वाला कभी सात्विक नहीं हो सकता, उपवास करने वाला ही बड़ा साधक हो सकता है। हमारे संत महापुरुष इसके उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि 15 दिन में एक उपवास जरूर करना चाहिए। इसी क्रम में उन्होंने घोषणा की कि मैं स्वयं 15 दिन में एक बार निराहार या जलाहार उपवास करूंगा। उन्होंने कहा कि अत्यधिक भोजन रोगों का कारण है। अत्यधिक भोजन से ही विष बनता है, इसलिए उपवास हर लिहाज से जरूरी है। उन्होंने स्वयं उपवास करते हुए 10-10 लोगों को उपवास के लिए प्रेरित करने का संकल्प दिलाया।
कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि स्वामी रामदेव महाराज से हमने ही नहीं पूरे विश्व ने योग, प्राणायाम, आयुर्वेद के ज्ञान सीखा है। स्वामी महाराज ने न केवल हमें योग सिखाया है अपितु मैकाले की दोषपूर्ण शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने हेतु भारतीय शिक्षा बोर्ड की स्थापना कर स्वदेशी शिक्षा के सशक्त विकल्प को जनमानस को सुलभ कराया है। उन्होंने विश्वास जताया कि भारतीय शिक्षा, संस्कार व परम्पराओं पर आधारित भारतीय शिक्षा बोर्ड 2047 के विकसित भारत की मजबूत नींव साबित होगा।
सुप्रसिद्ध लिवर विशेषज्ञ डॉ.एस.के.सरीन ने उपवास के वैज्ञानिक पक्ष को सामने रखते हुए उपवास की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उपवास से फैटी लिवर के साथ-साथ विभिन्न लिवर रोगों का उपचार संभव है। उपवास से ऑटोफेजी अर्थात् शरीर में सेल्फ रिपेयर की क्षमता बढ़ती है। शतायु व स्वस्थ जीवन व डिलेइंग एजिंग के लिए उपवास सबसे सरल व प्रामाणिक तरीका है। उपवास फैट को डिजोल्व करता है जिससे बॉडी रिजनरेट होना प्रारंभ कर देती है। योग, प्राणायाम तथा व्यायाम से भी फैट को डिजोल्व किया जा सकता है। इंडिया टीवी के चेयरमैन रजत शर्मा ने कहा कि उन्हें स्वामी रामदेव महाराज पहले ऐसे महापुरुष मिले जो केवल जीने के लिए खाते हैं। अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज की तपस्या, व्यक्तित्व व उनके द्वारा किए गए कार्य किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। आज लोग खाने के विषय में ज्यादा व उपवास के विषय में कम बात करते हैं। उपवास संयम, अनुशासन व संकल्प की परीक्षा का नाम है। मन में तो भाेजन की तीव्र इच्छा होती है, मन में तरह-तरह के व्यंजन के विचार आते हैं, ऐसे में संकल्प इतना मजबूत होना चाहिए की इच्छा पर नियंत्रण किया जा सके। श्री शर्मा ने कहा कि संयम व संकल्प का सबसे बड़ा उदाहरण अंतर्मना आचार्य प्रसन्न महाराज व स्वामी रामदेव महाराज हैं। 557 दिन का उपवास रखकर भी कोई स्वस्थ रह सकता है, इसका जीवंत उदाहरण अंतर्मना हैं।
दिल्ली के कैबिनेट मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि यह भारत मण्डपम में कोई तीर्थ यात्रा चल रही है। सभी इस तीर्थ का लाभ लें। हर माह एक उपवास महायात्रा की शुरूआत महापुरुषों की उपस्थिति में हुई है लेकिन मेरा मानना है कि प्रत्येक सप्ताह एक उपवास होना चाहिए, यह हमारे और हमारे समाज दोनों के लिए यह जरूरी है। उपवास हमारे शरीर के शुद्धिकरण का सबसे बड़ा मार्ग है। वहीं सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने उपवास की महत्ता बताते हुए माह में एक दिन उपवास का संकल्प लिया। सम्मेलन में भारतीय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन एन.पी.सिंह, आचार्य लोकेश मुनि, महंत बालकनाथ योगी महाराज, बाबा सत्यनारायण मौर्य और पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने उपवास विज्ञान पर व्याख्यान दिए। डॉ. यशदेव शास्त्री, साध्वी देवप्रिया, बहन ऋतम्भरा भी कार्यक्रम में उपस्थिति रही।












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